Giloy and liver damage : इम्युनिटी बढ़ाने आप भी करते हैं गिलोय का सेवन तो हो जाइए सावधान, कर सकता है आपका लीवर डैमेज!

Giloy and liver damage : कोविड-19 का दौर अभी समाप्त नहीं हुआ है। लिहाजा इस दौर में लोग सेहतमंद बने रहने के लिए तरह-तरह के फू्रड्स व काढ़े का इस्तेमाल खूब किए।

Update: 2021-07-12 18:35 GMT

Giloy and liver damage : कोविड-19 का दौर अभी समाप्त नहीं हुआ है। लिहाजा इस दौर में लोग सेहतमंद बने रहने के लिए तरह-तरह के फू्रड्स व काढ़े का इस्तेमाल खूब किए। ताकि वह खुद की इम्युनिटी को स्ट्रांग रख सके और कोरोना उनसे दूर रहे। कोरोना काल में लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी, अदरक, आंवला, हल्दी, गिलोय आदि के काढ़े का खूब सेवन किया। अब यह लोगों की आदत में शुमार हो चुका हैं।

लेकिन स्वास्थ्य से जुड़े एक्सपर्ट का मानना है कि देसी नुस्खे को कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। ताकि इससे होने वाले साइडइफेक्ट से बचा जा सके। हाल ही में एक शो में डाॅक्टरों ने साफ किया है जिन लोगों ने इम्युनिटी को स्ट्रांग रखने अत्यधिक मात्रा में गिलोय के काढ़े का सेवन किया है उन्हें लीवर में समस्या आई है। 

6 मामले आए सामने

रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना काल के दौरान हर्बल इम्यून बूस्टर के सेवन से 6 लोगों के लिवर डैमेज हुए हैं।  मुम्बई की एक चिकित्सकीय टीम के सामने सितम्बर 2020 से लेकर दिसम्बर 2020 तक में कुल 6 केस गिलोय के सेवन से लिवर डैमेज के सामने आए है।
इन सभी मरीजों में पीलिया, सुस्ती-थकान जैसे लक्षण देखने को मिले। ये सभी इलाज के लिए डाॅक्टरों के पास पहुंचे थे। जांच में सामने आया कि सभी ने गिलोय के जूस का अत्यधिक मात्रा में सेवन किया था। इसके साथ ही इंडियन नेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर के प्रकाशित एक अध्ययन में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि गिलोय का अत्यधिक सेवन लिवर के लिए नुकसानदेय है। 

बता दें कि गिलोय एक भारतीय पारंपरिक जड़ी बूटी हैं। जो आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों में मिल जाती है। गिलोय का ज्यादातर इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा तैयार करने में किया जाता रहा है। इसे कई नामों से भी जाना जाता है। इस जड़ीबूटी का इस्तेमाल बुखार के साथ कई तरह की अन्य बीमारियों को दूर भगाने में किया जाता रहा है। 

रोगियों में मिले ये लक्षण

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जिन मरीजों में गिलोय सेवन से लिवर की समस्या हुई है। उनमें कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिले। पहला मरीज 40 वर्षीय था। जो 15 दिनों से पीलिया का इलाज करा रहा था। यह व्यक्ति दिन में दो बार दालचीनी व लौंग के साथ गिलोय का सेवन करता था। इसी तरह दूसरे व तीसरे मरीज क्रमशः 54 व 38 साल के थे। जो यह स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित थे।

ये दोनों लगभग 6 माह से गिलोय का सेवन कर रहे थे। चैथी मरीज 62 वर्षीय एक महिला थी। जो डायबटीज 2 टाइप से पीड़ित थी। इस महिला को भूख न लगना, त्वचा में पीलापन व पेट फूलने की शिकायत थी। इसी तरह पांचवां व छठा मरीज पीलिया से पीड़ित था। इनकी लीवर की कार्यक्षमता काफी कम हो गई थी। 

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