अगर इस तरह सोते हैं आप तो कभी भी नहीं खत्म होगी आपकी परेशानियां, इन बातों का रखें ख्याल

हमारे जीवन में वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) का बहुत बड़ा महत्व है।

Update: 2022-05-14 04:46 GMT

हमारे जीवन में वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) का बहुत बड़ा महत्व है। किस दिशा में पैर कर सोना चाहिए इस पर भी वास्तु शास्त्र के कुछ सिद्धांत हैं। शास्त्र तो यहां तक कहता है कि अगर आप सही दिशा में पैर कर नहीं सोते हैं तो आपकी समस्याएं कभी समाप्त हो ही नहीं सकती। वास्तु शास्त्र तो यह भी कहता है कि गलत दिशा में पैर कर सोने से स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां उत्पन्न होती हैं। जिनका निदान केवल सही दिशा का चुनाव ही है। आज हम वास्तु शास्त्र के बताए अनुसार जानकारी देंगे।

पूर्व दिशा की ओर करें सिर

वास्तु शास्त्र के बताए अनुसार हमें पूर्व दिशा की ओर सिर कर सोना चाहिए। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना सभी दिशाओं से उत्तम है। इसके बजाय अगर पश्चिम दिशा की ओर सिर कर सोया जाए तो वह उत्तम नहीं है।

क्या है लाभ

पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। अगर बीमार व्यक्ति को भी पूर्व दिशा की ओर सिर कर सुलाया जाए तो उस पर औषधियों का तेजी से असर होता है। वहीं अगर स्वस्थ मनुष्य प्रतिदिन पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोता है तो उसके शरीर में व्याधियों हावी नहीं हो पाती।

वास्तु शास्त्र यह भी कहता है के पूर्व दिशा की ओर सिर कर सोने से जैसे ही सुबह होती है सूर्य की किरणें पूर्व दिशा से सभी दिशाओं की ओर जाती हैं। अगर पूर्व दिशा की ओर सिर कर सोया जाता है तो सुबह होते ही प्रकाश की किरणें व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रवेश करते हुए शरीर में पहुंचते हैं।

पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से मस्तिष्क में प्रवेश करने वाली सूर्य की किरणें बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाती है। आवश्यक है कि बच्चों को हर हाल में पूर्व दिशा की ओर सिर कर सोने की आदत डालनी चाहिए।

पूर्व दिशा की ओर सिर कर सोने का एक वैदिक व्यावहारिक कारण यह भी है कि अगर पश्चिम दिशा की ओर सिर होगा दोपहर पूर्व दिशा की ओर। पूर्व दिशा से सूर्य उदय होते हैं। अगर पैर पूर्व दिशा की ओर है तो यह सूर्य देवता का अपमान माना गया है। हमारे सनातन धर्म में सूर्य को साक्षात देवता माना गया है।

प्रतिदिन सूर्य देव को अर्घ देने का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में है। बिहार प्रांत में छठी मैया की पूजा के समय उगते हुए सूर्य और अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अगर सूर्य देवता की नियमित पूजा की जाए तो मनचाहा फल प्राप्त होता है।

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