Miyawaki Method: मियावाकी पद्धति क्या है? जिससे एमपी के इंदौर में महज दो वर्ष में तैयार हो गया घना जंगल

Miyawaki Method: एमपी के इंदौर में मियावाकी पद्धति से महज दो वर्ष में घना जंगल तैयार हो गया। यहां तेंदुआ भी अक्सर आराम फरमाते नजर आ जाते हैं।

Update: 2023-07-17 11:04 GMT

Miyawaki Method: एमपी के इंदौर में मियावाकी पद्धति से महज दो वर्ष में घना जंगल तैयार हो गया। यहां तेंदुआ भी अक्सर आराम फरमाते नजर आ जाते हैं। इसके साथ ही सांप, चिड़िया, मेढ़क, तितली सहित कई तरह के पशु-पक्षियों का बसेरा भी यह बन गया है। दो वर्ष के भीतर ही यह जीवन की विविधता को दर्शाने वाला बेहतरीन उदाहरण बन गया है।

85 प्रजाति के हैं पेड़

इंदौर के बड़गोंदा स्थित वन विभाग की अनुसंधान व विस्तार केन्द्र की नर्सरी में आधा हेक्टेयर में घना जंगल है। जिसमें विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षी भी आसानी से देखने को मिल जाते हैं। मियावाकी पद्धति Miyawaki Method से यहां मार्च 2021 में पौधरोपण किया गया था। दो साल के अंदर ही यहां घना जंगल तैयार हो गया। यहां 85 प्रजाति के पेड़ मौजूद हैं। घास, झाड़ियां, बेल और फिर पेड़ बनने वाले पौधों का यहां रोपण किया गया था। यह जंगल 100 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा है।

यह वन्य प्राणी आ जाते हैं नजर

बड़गोंदा स्थित वन विभाग की अनुसंधान व विस्तार केन्द्र की नर्सरी के प्रभारी सुभाष बिल्लौरे के मुताबिक यहां दो बार जंगल में तेंदुआ बैठा देखा जा चुका है। गर्मी के दिनों में यहां हरियाली और छांव बनती रहती है ऐसे में तेंदुआ भी यहां आराम फरमाने पहुंच जाते हैं। रालामंडल में भी इस पद्धति से ग्रीन वॉल बनाई गई है जो पशु पक्षियों की किसी सघन कॉलोनी की तरह नजर आती है। इस ग्रीन वॉल में चीतल, सांभर, ब्लैकबग, नीलगाय, लोमड़ी, मोर, खरगोश आदि भी नजर आते हैं। कई तरह की चिड़िया के घोंसला भी यहां पर बने हुए हैं।

Miyawaki Method Kya hai: यह है मियावाकी पद्धति

मियावाकी पद्धति के प्रणेता जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी हैं। इस पद्धति से बहुत कम समय में जंगलों को घने जंगलों में परिवर्तित किया जा सकता है। यह कार्यविधि 1970 के दशक में विकसित की गई थी। इस कार्यविधि में पेड़ स्वयं अपना विकास करते हैं और तीर वर्ष के भीतर वे अपनी पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं। मियावाकी पद्धति में उपयोग किए जाने वाले पौधे ज्यादातर आत्मनिर्भर होते हैं। उनको खाद व पानी देने के साथ ही नियमित रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती।

Miyawaki Method Importance: मियावाकी पद्धति का महत्व

मियावाकी पद्धति स्थानीय वृक्षों को हरा-भरा आवरण उस क्षेत्र के धूल कणों को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जहां उद्यान स्थापित किया गया है। इसके साथ ही पौधे सतह के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं। यह वन नई जैव विविधता और एक पारिस्थितिकी मंत्र को प्रोत्साहित करते हैं जिससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होती है। इन वनों में उपयोग किए जाने वाले कुछ सामान्य स्थानीय पौधों में अंजन, आंवला, बेल, अर्जुन और गुंज शामिल हैं।

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