एनआरआई सम्मेलन में भाग लेने आए मारीशस के बिजनेसमैन हो गए थे गंभीर, इंदौर में 19 दिन उपचार कर बचाई जान

MP News: इंदौर में गत दिनों हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मारीशस के एक बिजनेसमैन भाग लेने पहुंचे थे। जिनकी हालत गंभीर हो गई थी। उनका उपचार इंदौर के प्राइवेट अस्पताल में 19 दिनों तक चला तब उनकी जान बच सकी।

Update: 2023-01-30 08:26 GMT

इंदौर में गत दिनों हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मारीशस के एक बिजनेसमैन भाग लेने पहुंचे थे। जिनकी हालत गंभीर हो गई थी। उनका उपचार इंदौर के एक प्राइवेट अस्पताल में 19 दिनों तक चला तब उनकी जान बच सकी। उन्हें कई प्रकार की बीमारियां थीं, उपचार के दौरान वे वेंटिलेटर पर थे। जिनका उपचार यहां के चिकित्सकों द्वारा पूरी सेवा भाव के साथ किया गया।

क्या है मामला

प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पहले दिन 8 जनवरी का यह मामला बताया गया है। जहां मारीशस से आए एनआरआई जयंत दत्ता सदासिंह 71 वर्ष विजय नगर क्षेत्र की एक होटल में ठहरे थे जहां रात को अचानक उनकी तबियत खराब हो गई। जिन्हें पास के ही भंडारी हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। उनका आक्सीजन सेचुरेशन लेवल 70 प्रतिशत रह गया था। इसके साथ ही सीवियर हाइपरटेंशन और सीने में दर्द की शिकायत के साथ ही शुगर भी काफी बढ़ गई थी। शुगर लेवल 500 के ऊपर पहुंच गया था और हार्ट भी केवल 45 प्रतिशत ही काम कर रहा था।

वेंटिलेटर पर रखा गया

इनका उपचार कर रहे चिकित्सकों की मानें तो मरीज को हाइपरटेंशन समेत सेहत संबंधी अन्य दिक्कतें होने के कारण केसी बहुत काम्लीकेटेड हो गया था। उनके ब्रेन सेंसेटिव हिस्से में खून का थक्का भी जम गया था। मरीज के दाहिने हिस्से में पैरालिसिस के लक्षण भी नजर आने लगे थे। उन्हें खांसी के साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत आ रही थी। जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखकर उनका उपचार किया गया।

एहतियात के साथ भेजा गया मारीशस

अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर डाॅ. महक भंडारी के निर्देशन में डाॅ. आरके झा, डाॅ. सपना पाण्डेय, डाॅ. राहुल जैन और डाॅ. हरीश सोनी की टीम ने उपचार के दौरान मरीज का पूरा ख्याल रखा। इंदौर में 19 दिनों तक उनका जरूरी ट्रीटमेंट करते हुए उन्हें सकुशल बचा लिया गया। बताया गया है कि गणतंत्र दिवस के दिन उन्हें तमाम जरूरी एहतियात के साथ एयरलिफ्ट कर मारीशस भेज दिया गया है। डाॅ. भंडारी का कहना है कि हमने मरीज को दूसरे मरीजों की ही तरह बचाने की हरसंभव कोशिश की और सफल रहे। इस दौरान हमारे मन में यह बात हमेशा रही कि पेशेंट इंदौर में हो रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शामिल होने आए थे। जिसके कारण पेशेंट की जान बचाना और भी महत्वपूर्ण हो गया था। इससे इंदौर के चिकित्सा जगत का नाम और सम्मान भी जुड़ा हुआ था।

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