हाई कोर्ट ने पुलिस कार्यशैली पर उठाए सवाल: कहा- अब घायलों की चोट का लेना होगा फोटो, जानबूझकर पहले छोटी धारा में केस दर्ज करती है पुलिस

इंदौर हाई कोर्ट ने झाबुआ के एक मारपीट केस में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने घायलों की चोट के फोटो न लेने और मामूली धाराओं में केस दर्ज करने पर सवाल उठाए।;

Update: 2025-07-18 06:37 GMT

हाई कोर्ट की पुलिस कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी: इंदौर हाई कोर्ट ने हाल ही में पुलिस के काम करने के तरीके पर गंभीर सवाल उठाए हैं। झाबुआ में मारपीट से जुड़े एक मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की बेंच ने पुलिस से पूछा कि क्या केस दर्ज करते समय घायलों की चोट के फोटो लिए गए थे या नहीं। पुलिस के इनकार करने पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की।

पूरे प्रदेश में एक जैसी है पुलिस की कार्यप्रणाली

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर लिखा है कि यह केवल एक केस का मामला नहीं है, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में पुलिस इसी तरीके से काम कर रही है। कोर्ट ने इसे नजरअंदाज न करने की बात कही। अक्सर देखा जाता है कि जब शिकायतकर्ता को गंभीर चोटें आती हैं, तब भी पुलिस गाली-गलौज, धमकाने या हमला करने जैसी छोटी धाराओं में ही मामला दर्ज करती है। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर आरोपियों को आसानी से जमानत दे दी जाती है।

झाबुआ के ढेबर बड़ी गांव का मामला

यह पूरा मामला झाबुआ के कल्याणपुरा थाने से जुड़ा है। बीते 9 मई को ढेबर बड़ी गांव में एक विवाद हुआ था। झापड़ी भाबोर नाम की महिला ने पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके पति का पड़ोसी सीतु भाबोर से विवाद हो गया था, जिसमें तलवार और पत्थरों से हमला किया गया। इस हमले में झापड़ी और उनके पति दोनों को चोटें आईं। शुरुआत में पुलिस ने हल्की धाराओं में केस दर्ज किया, जिससे आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। बाद में मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद धाराओं में बढ़ोतरी की गई। इसके बाद आरोपियों ने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी।

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