इंदौर बना मध्य प्रदेश का कोरोना हॉटस्पॉट: 63% केस यहीं, पर सरकारी अस्पतालों में RT-PCR जांच नहीं; 42 ऑक्सीजन प्लांट भी बंद, तैयारियों पर उठे सवाल
मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इंदौर सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है, जहां प्रदेश के 63% से अधिक केस और 2 मौतें दर्ज की गई हैं।;
मध्य प्रदेश में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, और इन बढ़ते मामलों के बीच इंदौर शहर प्रदेश का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बनकर उभरा है। इस साल (2025) प्रदेश में अब तक सामने आए 65 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केसों में से सर्वाधिक, यानी लगभग 63%, अकेले इंदौर में ही पाए गए हैं। शहर में अब तक दो कोरोना पॉजिटिव महिलाओं की मौत भी हो चुकी है, जिनमें से एक खरगोन की निवासी थीं। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन दोनों की मौत का मुख्य कारण अन्य गंभीर बीमारियों को बताया है।
इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद, जमीनी हकीकत यह है कि इंदौर में कोरोना से निपटने की सरकारी तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में RT-PCR जांच की सुविधा आम जनता के लिए लगभग न के बराबर है, और पिछली लहर के बाद स्थापित किए गए अधिकांश ऑक्सीजन प्लांट भी बंद पड़े हैं।
कागजों पर तैयारी, हकीकत में बदहाली: जांच से लेकर ऑक्सीजन तक
RT-PCR जांच: निजी लैब और अस्पतालों के भरोसे मरीज
इंदौर में 23 मई से कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है और अब तक 50 से ज्यादा पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 41 से ज्यादा इंदौर शहर के ही निवासी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी मरीजों ने अपनी कोरोना की जांच निजी प्रयोगशालाओं (प्राइवेट लैब) या निजी अस्पतालों में ही कराई है। इसका मुख्य कारण यह है कि आम जनता को यह जानकारी ही नहीं है कि सरकारी स्तर पर जांच कहां हो रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमवाय अस्पताल (MYH) और एमआरटीबी (MRTB) अस्पताल में RTPCR जांच की सुविधा होने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि एमवायएच में फिलहाल आम जनता के लिए जांच नहीं हो रही है, जबकि एमआरटीबी अस्पताल में केवल कैदियों की ही जांच की जा रही है। शहर में बढ़ते केसों को देखते हुए सरकारी अस्पतालों या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच तुरंत शुरू करने की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही है।
बंद पड़े 42 ऑक्सीजन प्लांट
कोरोना की दूसरी लहर के बाद इंदौर में स्थापित किए गए 42 ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थिति भी चिंताजनक है। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग को इंदौर के अधिकारियों द्वारा कोरोना की तैयारियों को लेकर जो रिपोर्ट सौंपी गई थी, उसमें इन प्लांट्स के चालू होने की बात कही गई थी। लेकिन हकीकत यह है कि ये सभी 42 ऑक्सीजन प्लांट 2023 से ही बंद पड़े हैं। इन्हें आखिरी बार 2023 में हुई एक मॉकड्रिल के दौरान कुछ घंटों के लिए ही चालू किया गया था, और उस मॉकड्रिल में भी कई प्लांट्स ऑक्सीजन का आवश्यक शुद्धता (सेचुरेशन) स्तर हासिल नहीं कर पाए थे। हालांकि, एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने दावा किया है कि उसके पास तीन बड़े लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट (एक 5 लाख लीटर क्षमता और दो 2-2 लाख लीटर क्षमता के) हैं, जो पूरी तरह से चालू हालत में हैं।
जीनोम सीक्वेंसिंग: मशीन है, पर जरूरी किट्स नहीं
नए वैरिएंट्स का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा नवंबर 2022 में लगभग 60 लाख रुपये कीमत की एक आधुनिक जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन प्रदान की गई थी। यह मशीन इंस्टॉल भी हो चुकी है और इसके संचालन के लिए स्टाफ को बाहर भेजकर विशेष ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। लेकिन, जांच के लिए आवश्यक रीजेंट्स और किट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण यह कीमती मशीन आज तक शुरू नहीं हो सकी है।
प्रशासन की समीक्षा बैठक और अधिकारियों के बयान
इंदौर में कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए रविवार दोपहर को प्रभारी कलेक्टर गौरव बैनल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने कोरोना से निपटने के लिए अस्पतालों में व्यापक तैयारियां रखने, संसाधनों को क्रियाशील करने और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने के कड़े निर्देश दिए। साथ ही, नागरिकों से सावधानी बरतने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील भी की गई।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन पर कहा, "किट्स के बिना टेस्टिंग शुरू नहीं की जा सकती। ये किट्स काफी महंगी होती हैं। अगर भविष्य में केस और बढ़ते हैं तो शासन से किट्स की मांग की जाएगी और उपलब्धता के बाद टेस्टिंग शुरू की जाएगी।" उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भेजे गए सात सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट में ओमिक्रॉन की सब-लाइनेज XFG और LF.7.9 की पुष्टि हुई थी, जो BA.2 से संबंधित हैं। उनके अनुसार, ये वैरिएंट्स खतरनाक नहीं हैं, लेकिन बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर मास्क अवश्य पहनना चाहिए।
इंदौर में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति
इंदौर में वर्तमान में 25 से अधिक कोरोना के एक्टिव मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है। इनमें से एक मरीज अस्पताल में भर्ती है, जो कैंसर से भी पीड़ित है। अन्य सभी मरीजों में हल्के लक्षण हैं और वे होम आइसोलेशन में हैं, उनकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है और घबराने जैसी कोई बात नहीं है।