Honor Killing : चिता पर लेटी थी बुलबुल और पेट पर था अजन्‍मी बेटी का शव

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Update: 2021-02-16 06:08 GMT

इंदौर, बेटमा। चिता पर लेटी थी बुलबुल...और उसके ही पेट के ऊपर लिपटी सी थी उसकी अजन्मी बेटी। उसके तो हाथ-पैर बन चुके थे। बस तीन महीने और बीत जाते तो मां की कोख से बाहर आकर एक ऐसी मुस्कान बिखेरती कि उस एक जान के लिए ही दोनों परिवारों एक हो जाते। पर वो तो मां के कोख में ही रीति-रिवाजों की भेंट चढ़ गई।

परिवार की मर्जी के बगैर राजपूत परिवार में शादी करने की वजह से अपने ही छोटे भाई के हाथों मौत के घाट उतारी गई 21 वर्षीय बुलबुल का शव दोपहर तीन बजे बेटमा के रावद गांव पहुंचा। पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि उसकी कोख में बेटी पल रही थी। उसके हाथ-पैर बनना शुरू हो गए थे। उसकी अजन्मी बेटी का शव भी उसके पेट के ऊपर ही अलग से रखा गया।

घटना के बाद से ही पूरे गांव में सन्नाटा छाया हुआ है। कोई बात करने को तैयार नहीं है। दोपहर सवा तीन बजे जब बुलबुल की अर्थी निकली तो कुलदीप के घर के बाहर सिर्फ 10-15 परिजन और रिश्तेदार थे। अंतिम यात्रा में बुलबुल के परिवार से कोई शामिल नहीं हुआ। गांव का कोई भी जाट परिवार भी नहीं आया। यहां तक कि गांव के राजपूत समाज और अन्य लोगों ने भी दूरियां बना ली। सिर्फ कुलदीप के परिजन और नजदीकी रिश्तेदार शामिल हुए। इंदौर से शव पहुंचने के बाद घर पर 15 मिनट रखा गया। गांव के बाहर स्थित श्मशान ले जाया गया। जहां 3.40 बजे देवर ने बुलबुल की चिता को अग्नि दी।

जब गोली मारी तब वो मुझे खुश होकर बता रही थी कि बच्चा पेट में घूम रहा है घटना की चश्मदीद बुलबुल की सास मंजू बाई के आंखों के सामने से वो मंजर शायद जिंदगी भर न हटे। वो बोली- जिस वक्त बुलबुल के भाई ने उसे गोली मारी उस वक्त वो मुझे बच्चे के अहसास के बारे में ही बता रही थी। वो कह रही थी कि बच्चा पेट में घूमने लगा है। 15 दिन हो गए हैं। हम लोगों को बहुत उम्मीद थी कि बच्चा आते ही दोनों परिवारों के बीच की दूरियां खत्म हो जाएगी। बुलबुल के परिवार वाले भी मान जाएंगे।

23 तारीख ही थी प्रसूति की तारीख बुलबुल के पति कुलदीप ने कहा कि बुलबुल की डिलेवरी की डेट 23 अक्टूबर दी थी। आज से ठीक चार महीने बाद। इससे पहले भी हम दोनों 5-6 बार गांव आ चुके थे। एक बार तो एक महीने रुक कर गए थे। इस दौरान किसी प्रकार का कभी कोई विवाद नहीं हुआ तो उनका डर खत्म हो गया था। दो दिन की छुट्टी थी, इसलिए मिलने आ गए थे। अगर मालूम होता कि मारने की कोशिश कर रहे हैं तो कभी नहीं आते। हत्यारे को फांसी की सजा होना चाहिए।

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