बहुचर्चित हनीट्रैप मामला: निलंबित इंजीनियर हरभजन सिंह को नगर निगम रीवा अटैच किया गया

इंदौर. मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले का खुलासा एवं मामला पंजीबद्ध कराने वाले एमआईसी इंदौर के इंजीनियर हरभजन सिंह को नगर निगम रीवा

Update: 2021-02-16 06:24 GMT

इंदौर. मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले का खुलासा एवं मामला पंजीबद्ध कराने वाले एमआईसी इंदौर के इंजीनियर हरभजन सिंह को 9 माह बाद एक बार फिर निलंबित कर दिया है. निलंबन आदेश जारी करने के दौरान निगमायुक्त ने इंजीनियर को उनके मूल पदस्थापना नगर निगम रीवा अटैच करने की मांग शासन से की गयी थी.

जिस पर शुक्रवार को स्वीकृति दे दी गई है. इंदौर से उन्हें शुक्रवार को रिलीव भी कर दिया गया. संभागायुक्त और निगम प्रशासक डाॅ. पवन कुमार शर्मा के निर्देश पर निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने सिंह को मंगलवार को दोबारा निलंबित कर ट्रेंचिंग ग्राउंड में अटैच कर दिया था. संभागायुक्त ने नगरीय विकास व आवास विभाग से सिंह को वापस रीवा भेजने की अनुशंसा की थी. 

बता दें हरभजन सिंह वही अधिकारी हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप काण्ड का खुलासा कर मामला पंजीबद्ध कराया था. पहली बार सिंह को अनैतिक कार्य में संलिप्त होने के आरोप में 23 सितम्बर 2019 को निलंबित किया गया था. लेकिन उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने 3 जून को उनके निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया था. साथ ही एमआईसी को आदेश दिया था की अधिकारी को बहाल करते हुए उनके बकाया वेतन-भत्ते अदा करे.

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मामले को लेकर आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया की हाई कोर्ट के आदेश के पालन में सम्बंधित अधिकारी को औपचारिक तौर पर जोइंनिंग करा ली गई थी. लेकिन उनके खिलाफ शासकीय सेवा के गरिमा के खिलाफ आचरण के गंभीर आरोप हैं, इसलिए हमने उन पर विभागीय जांच बैठाते हुए फिर से निलंबित कर दिया. साथ ही राज्य सरकार से अनुरोध किया है की उन्हें रीवा नगर निगम में ही अटैच कर दिया जाय, जिससे तहकीकात प्रभावित न हो सके.

गौरतलब है कि पुलिस ने सिंह की ही शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था.गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था. आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किये गये थे.

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पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लायी गयी युवतियों के इस्तेमाल से धनवान और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फंसाता था. फिर उनके अंतरंग पलों के वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था.

आरोप पत्र के मुताबिक हनी ट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की ‘ट्रांसफर-पोस्टिंग’ की सिफारिशें तक करायी थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था.

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