Vivek Agnihotri Was A Naxalite: क्या विवेक अग्निहोत्री पहले नक्सली थे? उन्होंने खुद बताया
Vivek Agnihotri Was A Naxalite: विवेक कहते हैं वो नक्सलवाद को गहराई से जानते हैं उन्होंने उसे अनुभव किया है
Vivek Agnihotri Was A Naxalite: द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री को आज देश एक राष्टवादी कलाकार के रूप में पहचान रहा है लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कभी विवेक अग्निहोत्री नक्सलियों के सम्पर्क में हुआ करते थे, विवेक ने कहा वह नक्सलवाद और अर्बन नक्सलवाद को गहराई से जानते हैं क्योंकी उन्होंने यह सब होते देखा है।
एक इंटरव्यू में विवेक अग्निहोत्री ने कहा था की एक वक़्त था जब वह नक्सलियों के संपर्क में आ गए थे. उन्होंने कहा था कमियों के चक्कर में हम लोगों की अच्छाई देखना भूल जाते हैं. इस चक्कर में मैं खुद एक नक्सली बन गया था. जब में भोपाल में पढता था तब मैं क्रिएटिव ड्रामा और डिबेट करता था, और मैं नक्सलियों के संपर्क में आ गया था.
कैसे नक्सली बन गए थे विवेक
उन्होंने इंटरव्यू में अपने अर्बन नक्सली होने का किस्सा सुनाया था. विवेक ने कहा- एक तो यह है कि लोग कार्ल मार्क्स को पढ़ने के बाद इस तरह की लोग बन जाते हैं, वहीं दूसरे ऐसे होते हैं जिन्हे आस-पास की हर चीज़ गलत बताई-दिखाई जाती है। युवाओं की जो सोच है उन्हें लगता है जो वो सोचते हैं वही सच है. उन्होंने कहा मानवता की बात करने से नहीं मानवता दिखाने से मानवता आती है।
ऐसा कहा जाता है कि एक वक़्त विवेक देश विरोधी बातें और एक्टिविटी करने वाले लोगों की सोच से प्रभावित हो गए थे. वह नक्सलवाद में फंस गए थे और उन्हें यह लगने लगा था कि कहीं न कहीं नक्सली सही हैं, उनका हिंसा करना सही है वो अपने हक़ की लड़ाई लड़ते हैं. अर्बन नक्सलवाद जैसा शब्द विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ही समाज के सामने रखा है।
नक्सली 2 प्रकार के होते हैं एक वो जो जंगल और बीहड़ में भटकते हैं और सरकार प्रशासन के खिलाफ हिंसा करते हैं, लोगों को मारते हैं, पैसों के लिए अपहरण, हत्या लूट करते हैं वहीं दूसरे नक्सली अर्बन नक्सली होते हैं जो अपनी सोच से देश विरोधी ताकतों की मदद करते हैं उनका समर्थन करते हैं. यह कोई भी हो सकता है , एक डॉक्टर, IAS, पुलिस, नेता, जर्नलिस्ट, एक्टर, कलाकर कोई भी अर्बन नक्सली हो सकता है.
नक्सलियों को टर्गेट करना आसान होता है लेकिन अर्बन नक्सलियों को पहचानना मुश्किल है।
विवेक इन्ही लोगों के बीच फंस गए थे लेकिन वक वक़्त ऐसा आया था तब उन्हें यह एहसास हुआ कि यह सब गतिविधिया देश को भारी खतरे में डालने का सिर्फ एक एजेंडा है, बाद में विवेक ने ऐसे लोगों से नाता तोड़ दिया और खुद अर्बन नक्सलियों के चेहरों से पर्दा हटाना शुरू कर दिया।