बिचैलियों की प्रताड़ना से समिति प्रबंधक ने कर ली थी आत्महत्या, अब परिजनों का कर रहे परेशान : CHHATARPUR NEWS

छतरपुर। प्रभारी समिति प्रबंधक रहे सुरेश नायक को बिचैलियों और दलालों ने इतना प्रताड़ित किया कि वह आत्महत्या करने के लिये विवश हो गये। जहां केंद्रीय सहकारी बैंक मर्यादित शाखा हरपालपुर में जहरीला पदार्थ खा लिया था। इलाज को ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई थी। लेकिन मौत से पहले उन्होंने अपनी बेटी को पूरी घटना बताई थी। जिसे बेटी ने मोबाइल पर सुरक्षित रखा है। प्रभारी समिति प्रबंधक की मौत के जिम्मेदार चार लोगों पर मामला दर्ज किया गया था, लेकिन आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई। अब वही बिचैलिये परिजनों को प्रताड़ित करने में जुट गये हैं। सुरेश नायक की मौत के चार महीने बाद भी आश्रितों को कोई सहायता नहीं प्रदान की गई है। परेशान आश्रित इधर-उधर भटक रहे हैं।

Update: 2021-03-21 00:21 GMT

छतरपुर। प्रभारी समिति प्रबंधक रहे सुरेश नायक को बिचैलियों और दलालों ने इतना प्रताड़ित किया कि वह आत्महत्या करने के लिये विवश हो गये। जहां केंद्रीय सहकारी बैंक मर्यादित शाखा हरपालपुर में जहरीला पदार्थ खा लिया था। इलाज को ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई थी। लेकिन मौत से पहले उन्होंने अपनी बेटी को पूरी घटना बताई थी। जिसे बेटी ने मोबाइल पर सुरक्षित रखा है। प्रभारी समिति प्रबंधक की मौत के जिम्मेदार चार लोगों पर मामला दर्ज किया गया था, लेकिन आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई। अब वही बिचैलिये परिजनों को प्रताड़ित करने में जुट गये हैं। सुरेश नायक की मौत के चार महीने बाद भी आश्रितों को कोई सहायता नहीं प्रदान की गई है। परेशान आश्रित इधर-उधर भटक रहे हैं।

नहीं दिया गया बकाया वेतन और फंड

प्रभारी समिति सुरेश नायक ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की थी। उनकी मौत के चार माह बाद भी उनके परिजन परेशान हैं। मृतक सुरेश नायक की पत्नी शकुंतला नायक ने कलेक्टर, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं को दिए आवेदन में अपने पति की तीन साल का बकाया वेतन, जीपीएफ सहित अन्य फंड की राशि दिलाए जाने की मांग की है। उन्हें अभी तक कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। जबकि शासन के नियमानुसार कर्मचारी की मौत के तुरंत बाद फंड की राशि जारी कर दी जाती है। 20 साल तक सुरेश नायक ने जिस विभाग में सेवाएं दी हैं उस विभाग के अधिकारी अब उनके बच्चों के साथ पूरी तरह से मनमानी कर रहे हैं। सुरेश नायक की जब मौत हुई तो वे समिति प्रबंधक के पद पर काम कर रहे थे। नियमानुसार उन्हें फंड व जमा राशि समिति प्रबंधक के वेतनमान से दी जाना चाहिए। अगर यह भी संभव नहीं है तो उनका मूल पद सहायक समिति प्रबंधक का था विभाग उन्हें इस पद के अनुसार भी फंड न देकर सेल्समैन के वेतन के अनुसार फंड देना चाहता हैए लेकिन वह भी नहीं दे रहा है।

Similar News