CG: नक्सल क्षेत्रों में दूर हैं स्कूल, सिर्फ 800 बच्चों को मिलेगा यातायात शुल्क

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Update: 2021-02-16 05:55 GMT

रायपुर। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) दोनों को मिलाकर अब समग्र शिक्षा अभियान चलेगा। इसके तहत इस साल हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की दूरी अधिक होने पर बच्चों के लिए यातायात शुल्क देने का प्रावधान रखा गया है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा अफसरों ने सिर्फ नारायणपुर जिले के 800 बच्चों को ट्रांसपोर्टेशन शुल्क दिलाने का प्रस्ताव रखा है।

इन बच्चों को हर साल छह हजार रुपये ट्रांसपोर्टेशन चार्ज मिलेगा। कुल 24 लाख रुपये खर्च होंगे। लेकिन आरएमएसए के विभागीय सूत्रों की मानें तो सात किलोमीटर से अधिक दूरी वाले हाई और हायर सेकंडरी स्कूल लगभग सारे जिलों में हैं। लेकिन इतना बजट नहीं है कि सभी बच्चों को सुविधा दी जा सके।

आरएमएसए के संचालक एस प्रकाश के मुताबिक जो भी प्रस्ताव केंद्र के सामने रखे गये थे उनमें ट्रांसपोर्टेशन चार्ज का प्रस्ताव नारायणपुर इलाके में लिए है, जो कि पास हो गया है।

उनका कहना है कि बाकी जगहों पर आवासीय विद्यालय खोले गये हैं। गौरतलब है कि हाई स्कूल की अधिकतम दूरी पांच किमी और हायर सेकंडरी स्कूल की अधिकतम दूरी सात किमी होनी चाहिए। इससे अधिक दूरी होने पर बच्चों को यातायात की सुविधा दी जानी चाहिए।

आरएमएसए करवा चुका है सर्वे

हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की आवश्यकता को लेकर आरएमएसए प्रदेश के लगभग सभी जिलों में सर्वे करवा चुका है। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर जिलों में करीब 250 से अधिक हाई और हायर सेकंडरी स्कूल तय दूरी से पर अधिक हैं, जहां बच्चों को पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है।

कक्षा आठवीं उत्तीर्ण कर कक्षा नौवीं में जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय सुविधा न होने से बच्चे या तो शाला त्यागी हो रहे हैं या फिर घर-द्वार से दूर कस्बों में आकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। ऐसे में पालकों को भी अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है।

लड़कियों को छोड़ना पड़ रहा है स्कूल

अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की बालिकाओं को सरस्वती साइकिल योजना के तहत नौवीं से साइकिल मिलती है। लेकिन सरकारी अफसरों की उदासीनता और लापरवाही के चलते हर साल साइकिल मिलने में देरी होती है। आधा सत्र बीतने के बाद साइकिल मिलने के कारण कुछ बालिकाएं स्कूल दूर होने से हाई और हायर सेकंडरी कक्षाओं की पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं।

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