Hindustan Zinc Share Price: केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

हिंदुस्तान जिंक कंपनी (Hindustan Zinc Company) अपनी पूरी हिस्सेदारी सरकार को बेच रही हैं।

Update: 2022-05-26 10:02 GMT

Cabinet approves sale of Hindustan Zinc stake: बुधवार को हिंदुस्तान जिंक में 7 फ़ीसदी तक उछाल देखा गया। केंद्रीय कैबिनेट ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी प्रस्ताव को भी मंजूर किया। हिंदुस्तान जिंक कंपनी अपनी पूरी हिस्सेदारी सरकार को बेच रही हैं। एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) की वजह से सरकार को अन्य विकल्पों के बारे में जानना पड़ा आइए हम इस आर्टिकल में इन विकल्पों के बारे में जानते हैं।

2002 में सरकार ने 26 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेची थी

सरकार ने हिंदुस्तान जिंक कंपनी (Hindustan Zinc Company) में 26 फ़ीसदी हिस्सेदारी वेदांता ग्रुप (Vedanta Group) को बेची थी। हिंदुस्तान जिंक में एक समय वेदांता की हिस्सेदारी थी। बाद में वेदांता ग्रुप ने हिंदुस्तान जिंक की हिस्सेदारी खरीदी और कंपनी ने वेदांता ग्रुप की कुल हिस्सेदारी बढ़कर 64.50 तक पहुंच गई।

सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी:

ET Now के सूत्रों के अनुसार सरकार हिंदुस्तान जिंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी (Hindustan Zinc to sell its entire stake)। सरकार की कुल हिस्सेदारी 29.54 फीसदी है। जिंक उत्पादन करने वाली कंपनी (zinc producer Company) में आज की हिस्सेदारी में 39,385.66 करोड़ रुपए है। इस कंपनी का स्टॉप 6.81 किस देश से बढ़कर 315.90 रुपया तक पहुंचा, इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद।

एलआईसी के आईपीओ से सरकार ने जुटाए करोड़ों रुपए:

शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, पवन हंस, भारत पैट्रोलियम, IDBI बैंक की रणनीति बिक्री में देरी और एलआईसी के आईपीओ साइज में कमी के कारण सरकार को अन्य विकल्पों के बारे में जाने पड़ा। जिसके कारण यह बड़ा फैसला उठाया, सरकार पहले ही एलआईसी के आईपीओ से 20,506 करोड़ रुपए प्राप्त कर चुकी है।सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड रुपए का विनिवेश का लक्ष्य तय किया था।

प्रक्रिया सितंबर तक पूरी हो सकती है:

विनिवेश लक्ष्य के तहत सरकार चालू वित्त वर्ष में हिस्सेदारी की बिक्री कर रही है। एवं सरकार का आईटीसी में भी अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला ले सकती है, जिसमें सरकार की कुल 7.91 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बात पर अब भी विचार किया जा रहा है कि सरकार अपनी हिस्सेदारी में कितना कमी लाएगी। सरकार को उम्मीद है कि सितंबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

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