IIM से टॉप करने पर गोल्ड मेडल मिला, लाखों का पैकेज लगा, मगर इस बंदे ने सब्जी बेचकर करोड़ों कमा लिए

सब्जी बेचने वाला आईआईएम गोल्ड मेडलिस्ट ने पहले दिन 22 रुपए कमाए और कुछ सालों में करोड़ों का एम्पायर खड़ा कर दिया

Update: 2022-12-16 13:04 GMT

IIM Topper Selling Vegetables: स्कूल से लेकर कॉलेज से बच्चे को यही कह कर मोटिवेशन दिया जाता है कि ''बेटा पढ़ ले वरना बाद में सब्जी बेचना पड़ेगा'' लेकिन क्या सब्जी बेचना छोटा काम है? कुछ लोग कहेंगे हां भाई सरकारी नौकरी या MNC में जॉब करने से तो छोटा ही है! लेकिन इस IIM टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट ने तो MNC की जॉब को लात मारकर सब्जी बेचनी शुरू कर दी थी? तो अब आप क्या कहेंगे (पैसा बर्बाद #अपशद) 

हम बात कर रहे हैं ऐसे सब्जी बेचने वाले की, जिसने पहले आईआईएम से टॉप कर गोल्ड मेडल जीता और लाखों की नौकरी छोड़ सब्जी बेचने लगा. बंदे ने पहले दिन हुए 22 रुपए के प्रॉफिट से से अपना बिज़नेस शुरू किया और आज करोड़ों का कारोबार कर चुका और करता जा रहा है. 

सब्जी बेचने वाला आईआईएम टॉपर 

बिहार के नालंदा में एक गांव है मोहम्मदपुर। यहीं पैदा हुए सब्जी बेचने वाले आईआईएम गोल्ड मेडलिस्ट कौशलेंद्र सिंह। कौशलेंद्र सिंह खुद को विशुद्धरूप से सरकारी आदमी कहते हैं और बताते हैं कि बिना सरकारी नौकरी के भी आप कैसे सरकारी आदमी बन सकते हैं 

कौशलेंद्र ने जवाहर नवोदय विद्यालय से 10वीं तक पढाई की और पटना साइंस कॉलेज से १२वीं. फिर गुजरात के इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीक्लचर रिसर्च से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की और CAT में 99 पर्सेंटाइल लाकर निकल लिए IIM Ahamdabad. क्योंकि उनकी पठाई सिर्फ सरकारी कॉलेजों से हुई इसी लिए वह खुद को सरकारी आदमी कहते हैं. 

कौशलेंद्र ने आईआईएम अहमदाबाद में टॉप किया और गोल्ड मेडल हासिल किया, कैंपस सिलेक्शन में उन्हें लाखों के पैकेज वाली नौकरी मिल गई. मगर बंदे ने उस नौकरी को लात मार दी और सोचा की अब मैं तो सब्जी बेचूंगा 

IIM  से गोल्ड मेडल जीत कर पास आउट हुए कौशलेन्द्र किसी बड़ी कंपनी के बड़े पद पर बैठने की बजाए पटना लौट आए और यहाँ से शुरू किया वो काम जिसके बारे में सुन कर पहले लोग हैरान हुए और बाद में उनका उपहास उड़ाया. कौशलेन्द्र सब्जियां बेचने लगे. एक उच्च शिक्षित व्यक्ति आखिर सब्जियां क्यों बेच रहा है ये किसी ने नहीं सोचा लेकिन उनका मज़ाक जरूर उड़ाया.  

पहले दिन 22 रुपए कमाए और अब टर्नओवर 5 करोड़ 

जो व्यक्ति लाखों करोड़ों कमा सकता था उसने अपने सब्जी के काम में पहले दिन कमाए मात्र 22 रुपये। भले ही पहले दिन कौशलेन्द्र ने मात्र 22 रुपये की सब्जी बेची हो लेकिन 2016-17 तक उनका टर्न ओवर 5 करोड़ से ऊपर का हो गया था जो कि अब समय के साथ बढ़ ही रहा है. दरअसल, कौशलेन्द्र ने सिर्फ सब्जियां ही नहीं बेचीं बल्कि सब्जियों का एक नया ब्रांड खड़ा कर दिया. ऐसा ब्रांड जो पटना से शुरू हो कर अब पूरे देश में अपने पैर पसारने की तैयारी में है. 

2008 में कौशलेन्द्र ने अपने भाई धीरेन्द्र कुमार के साथ मिलकर सब्जियों के ब्रांड समृद्धि तथा कौशल्या फाउंडेशन के नाम से एक संस्था की स्थापना की. समृद्धि का पहला सेंटर कृष्णानगर में बनाया गया. यहाँ सब्जियों को छांटने के बाद उनकी पैकिंग तथा बारकोडिंग की जाती और इन्हें समृद्धि ब्रांड के नाम से बेचा जाता है 

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