मप्र में ओबीसी के लिए बढ़ाए गए 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

मप्र में ओबीसी के लिए बढ़ाए गए 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी की संख्या ज्यादा होने का हवाला

Update: 2021-02-16 06:37 GMT

मप्र में ओबीसी के लिए बढ़ाए गए 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी की संख्या ज्यादा होने का हवाला देकर बढ़ाए गए आरक्षण पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाईकोर्ट ने दायर तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिए और कहां कि जनसंख्या ज्यादा होने पर आरक्षण का कोई प्रवधान नही है। कोट के इस फैसले के बाद ओबीसी के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर फिलहाल रोक लग गई है।
दरअसल सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि मध्य प्रदेश में आबादी के लिहाज से सरकार ओबीसी वर्ग को आरक्षण देना चाहती है।

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याचिकर्ता ने दर्ज कराई अपत्ति

इस मामले में याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि हाल ही में मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच द्वारा निर्णय दिया गया और बताया गया कि किसी भी लिहाज से आबादी के परिपालन में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वर्ष 1993 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट का न्याय द्रष्टांत है कि आबादी के लिहाज से आरक्षण का प्रावधान नहीं है।


फैसला एक दिसंबर

दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को सभी याचिकाओं पर बहस की तारीख मुकर्रर कर दी है। जिसके बाद हाईकोर्ट मामले पर 1 दिसंबर फैसला सुना सकता है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग को आरक्षण का प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 कर दिया गया था जिसे अलग-अलग वर्गों द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। मेडिकल स्टूडेंट आशिता दुबे द्वारा सबसे पहले इस मामले पर याचिका दायर की गई थी उसके बाद बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण पर रोक जारी है।

प्रदेश में 50 फीसदी आरक्षण

मध्यप्रदेश में वर्तमान में अनुसुचित जाति को 16, जनजाति को 20, और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है. इस तरह तीनों वर्गो को मिलाकर 50 फीसदी आरक्षण मिल रहा है।

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