अपने को अधिकारी बता कर प्रमोशन-ट्रांसफर ठग गिरोह ने ऐठे करोड़ो रूपये, लगे पुलिस के हाथ, रीवा और यूपी के हैं आरोपी

Bhopal / भोपाल। अपने को महिला बाल विकास विभाग का अधिकारी बता कर प्रमोशन और ट्रांसफर के नाम से ठगी करने वाले गिरोह का भोपाल पुलिस ने पर्दाफास किया है। गिरोह से पुलिस ने तीन लाख रुपए नकद, एक लैपटॉप, 3 मोबाइल फोन, 4 सिम और फर्जी आवेदन फॉर्म जब्त किया है।

Update: 2021-06-25 10:10 GMT

Bhopal / भोपाल। अपने को महिला बाल विकास विभाग का अधिकारी बता कर प्रमोशन और ट्रांसफर के नाम से ठगी करने वाले गिरोह का भोपाल पुलिस ने पर्दाफास किया है। गिरोह से पुलिस ने तीन लाख रुपए नकद, एक लैपटॉप, 3 मोबाइल फोन, 4 सिम और फर्जी आवेदन फॉर्म जब्त किया है।

आरोपी मध्यप्रदेश में अब तक करीब 6 और छत्तीसगढ़ में 150 से अधिक लोगों से ठगी कर चुके हैं। हबीबगंज पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लगभग 3 लाख रुपए जब्त किए हैं। आरोपी खुद को महिला एवं बाल विकास का संयुक्त संचालक बताते थे। वे छत्तीसगढ़ में करीब एक करोड़ रुपए ठग चुके हैं।

शिकायत मिलने पर एक्शन में आई पुलिस

पूर्व संयुक्त निदेशक महिला एवं बाल विकास महेंद्र सिंह द्विवेदी ने हबीबगंज पुलिस में एक शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि संयुक्त निदेशक महिला एवं बाल विकास मध्यप्रदेश के नाम से अज्ञात व्यक्ति द्वारा अनूपपुर की कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से रुपए लिए गए। इतना ही नही मध्यप्रदेश के अन्य क्षेत्र के विभिन्न आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से भी इसी तरह ठगी की गई है। 

रीवा से मिला क्लू 

गिरोह का पता लगाने में जुटी पुलिस को रीवा के बघेड़ी चाकघाट से आरोपी महेंद्र कुमार तिवारी मिला और उसके निशान देही पर पुलिस यूपी से एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया। 

रीवा से पकड़ा गया महेन्द्र तिवारी ने पुलिस को बताया कि वही सभी को कॉल करता था। पूछताछ में तिवारी ने बताया कि उसे अंकित मिश्रा ने सिम दी थी।

उसका काम सिर्फ लोगों को कॉल करना और उसके खाते में आए रुपयों को अंकित के खाते में डालना होता था। इसके बाद पुलिस ने अंकित को प्रयागराज उत्तर प्रदेश से पकड़ लिया। 

एक करोड़ से ज्यादा कमाई रकम

यूपी से पकड़े गये अंकित ने पुलिस को बताया कि उसने मध्यप्रदेश में काम की शुरुआत हाल में ही की थी, जबकि छत्तीसगढ़ में तो वह अब तक करीब एक करोड़ रुपए कमा चुका है।

आंगनवाड़ी कर्मियो को ऐसे लेते थे झांसे में

कॉल करने वाला आरोपी महेन्द्र तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह खुद को संयुक्त निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग महेंद्र द्विवेदी बताकर कॉल करता था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से उनके मोबाइल पर संपर्क कर व उनको सुपरवाइजर के पद पर पदोन्नति के नाम पर तैयार किए गए फॉर्म भेजता था।

15 दिन में बदलते थें सिम और मोबाईल लोकेशन

आरोपी पदोन्नति व ट्रांसफर कराने के नाम पर रुपए अपने खाते में न डलवाकर अन्य किसी व्यक्ति के खाते में जमा करवाता था। अन्य लोगों की आईडी कार्ड पर सिम उठाकर अपराध में उन नंबरों का उपयोग करते थे। वह 15-20 दिन में अपनी सिम और मोबाइल फोन और अपनी लोकेशन बदलता रहता था। 

वह पहले बालौदा बाजार छत्तीसगढ़ में अशोक पांडे के नाम से महिला एवं बाल विकास कार्यकर्ताओं से करीबन 1 करोड़ रुपए ठग चुका है। छत्तीसगढ़ में उसके खिलाफ अपराध दर्ज हैं।

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