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शनि देव की महादशा से बचने, करें र्सिफ एक छोटा सा उपाय...
शनि देव की महादशा से बचने, करें र्सिफ एक छोटा सा उपाय…
कहा जाता है कि अगर न्याय के देवता शनिदेव अगर किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो रंक से राजा बना देते हैं। और अगर उनकी कुदृष्टि या महादशा हो तो राजा को भी रंक बना देते हैं। शनि की महादशा की स्थिति में बने हुए काम बिगडने लगते हैं। कई बार तो लोगों को अपने प्राण तक गावाने पड जाते हैं।
शनिदेव भगवान सूर्यदेव के पुत्र हैं। वहीं इनकी माता का नाम छाया है। अक्सर लोग शनिदेव का नाम सुनते ही घबराने लगते हैं लेकिन ऐसा नही है।
महादशा से बचने के उपाय और उसकी कहानी
महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ने एक बार ब्रह्मा जी की घोर दपस्या की और भगवान ब्रह्मा जी से वर मागा कि उसकी दृष्टि मात्र से किसी को भी जलाया जा सके। कहा जाता है कि ऐसा वर पाने के बाद वह भगवान शनि देव को बुलाया और अपने दृष्टि मात्र से उन्हे जलाने लगा। क्योकि शनिदेव की महादशा की वहज से ही दधीचि ने बज्र बनाने अपना शरीर दान किया और पत्नी सती हो गई और दधीचि पुत्र पिप्पलाद अनाथा हो गया था।
इस अवस्था को देखकर भगवान ब्रहृमाजी ने उसे रोका और फिर से वर मागने को कहा। जिस पर पिप्पलादि ने दो वर मागे जिसमें पहला वर यह रहा कि जन्म से 5 वर्ष की उम्र के बच्चांे की कुंडली मे शनि का कोई स्थान नही रहेगा और ना ही कोई प्रभाव।
वही दूसरे वर में उन्होने कहा कि अगर सूर्याेदय के पूर्व कोई भी व्यक्ति पीपल पर जल चढाता है तेा उस पर शनि की महादशा का कोई प्रभाव नही पडे। इस प्रकार भगवान ब्रह्माजी ने दोनो वर दिये। और तब से माना जाता है कि सूर्योदय के पूर्व पीपल को जल देना शनि शांति के साथ कई तरह से उपयोगी है।